poem on life philosophy
स्थिर हो गया है
इंसान
अपने स्वार्थ में
जिसके इर्द-गिर्द घूमते हैं
स्थिरता के साथ
चंद व्यवहारों से
रिश्ते बनाते हैं
लेकिन स्वार्थ के ईर्द-गिर्द
ठहरते हैं
क्योंकि वो जानता है
आजकल इससे अच्छी सोच
कोई हो नहीं सकता है
स्वयं ही प्रमाणित कर चुके हैं
इंसान
अपने नजरिए को !!!!
poem on life philosophy
रिश्ते यूं ही नहीं बनते हैं
बनाएं जाते हैं
चंद पैसों से
मतलब से
कुछ समय व्यतीत करने के लिए
रिश्ते यूं ही नहीं बन जाते हैं !!!!
रिश्तों की अहमियत तभी है
जब सोचा जाय
कुछ निर्णय करने से पहले
ध्यान रखा जाय
व्यवहार करने से पहले
जो सोच नहीं पाते
ध्यान नहीं रख पाते
समझो उसकी जिंदगी में
तुम शामिल नहीं हो !!!
जिस रिश्ते को देकर
भूल जाएं अपने आसपास
वो प्रेम के प्रति अवलंबन है
जिन रिश्तों में
प्रेम का अभाव होता है
केवल बातों का भाव होता है
बातचीत में चाव होता है
न एक दूसरे की जरूरत समझें
एक दूसरे के मदद में न आगे बढ़े
बस बातचीत है
समय व्यतीत करने के लिए !!!!
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