poem of love
ज़रा सा वक्त मांगा था
ताकि कह सकूं दिल की बात
और तुम समझ सको मेरे जज़्बात
न हो मेरे दिल पे कोई बोझ
अरे ! इतना ज्यादा मत सोच
ताकि तुम जी सको अपनी जिंदगी
मुझसे एक मुलाकात के बाद
जिसका फैसला तुझे करना था
तुम्हें मुझसे दूर या पास रहना था
इसलिए ज़रा सा वक्त मांगा था !!!
poem of love
सर का बोझ रख देता मैं
गर कांधे देता तू मुझे !!!
बोझ था दिल में
बातें रह गई जो दिल में
उसने जज्बातों से खेला है
दिमाग है चालाक और इरादे कुछ और दिल में !!!
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