आज मैं जहॉं हूॅं Poetry Aaj main jahan hun

Poetry Aaj main jahan hun 

 आज मैं जहॉं हूॅं

अकेला हूॅं

जिंदा हूॅं तो

किसी के 

यादों के सहारे  

जो मुझे लगते हैं

प्यारे 

एक सम्पूर्ण जीवन

सुरक्षित अहसास 

देता है

वो मुझे !!!!

Poetry Aaj main jahan hun

बरसा पानी

रेत पे

न ठहरा पानी

रेत पे

लोग समझ रहे थे

प्यास बुझी है

मेरी !!!

मैं अकेला होता हूं

जितना भी

बहुत सुकून मिलता है

पूर्णता भी

सुरक्षित भी

मेरे अकेलेपन में

तुम होते हो

और दुनिया मुझसे

कोशों दूर

ऐसे में

मैं खुद से बातें नहीं करता हूं

तुम्हारी उपस्थिति में

मेरा संवाद चलता है

निरंतर 

खुद को समझते हुए

तुमसे बातें करते हुए

मैं जीने लगता हूं

काल्पनिक दुनिया में भी

बेहतर अहसास के साथ

मैं जब भी अकेला होता हूं !!!!




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