स्त्री और पुरुष Lekh-stri or purush

 हर इंसानों में एक पुरुष होता है । Lekh-stri or purush सिर्फ शारीरिक बनावट से ऊपर उठिए । एक सोच,,दृष्टिकोण, एक भोक्ता जो अहसास कराते हैं । पहचान दिलाते हैं । जिसके होने से स्वयं की उपस्थिति का भास होता है । वही तो पुरूष होता है । जिसके आधार पर हम पहचान बनाते हैं । 

Lekh-stri or purush

जिसे समझने में हम सबको कठिन जान पड़ता है क्योंकि हम लोग बाह्य आवरण में उलझ जाते हैं । 

यह भी सच है कि शारीरिक संरचना हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं । जीने के तरीके को प्रभावित करते हैं  ।। बाहरी लोग ही नहीं स्वयं वह व्यक्ति उलझ जाता है जो जिस शारीरिक संरचना में बंधे हुए होते हैं । जैसे एक स्त्री और एक पुरुष । शाब्दिक अर्थों में । 

एक स्त्री के शारीरिक संरचना के कारण स्त्रीत्व का नाम देते हैं । एक पुरुष को पुरूषत्व के कारण । दोनों में ये गुण होने पर पूर्णता का अहसास करते हैं । संसार की दृष्टि भी यही तक जाती है । जिसमें यौन गुण ज्यादा मायने रखते हैं । 

प्रेम में बंधा हुआ आदमी

सेक्स की पूर्ति भी

आक्रमकता से नहीं करता है

न ही जानवरों की प्रवृत्ति होती है

क्योंकि वो जानता है कि

मेरे जैसे ही साथी की चाहत

उसकी जरूरत

सलाह, सम्मान, समानता, सहमति 

सेक्स में भी होता है 

इसी जरूरत की पूर्ति में रिश्ते बने हैं 

साथी से !!!!


केवल सेक्स की पूर्ति के लिए

रिश्तों को नजदीक लाना, आना 

पूर्ति के बाद दूर हो जाना

प्रेम का अभाव है

ऐसे रिश्तों में अलगाव होता है

जो कभी भी 

किसी भी विषय, विचार पर

दिखाई दे सकता है

जो एक स्त्री और पुरुष के संबंधों को

परिभाषित करते हैं !!!!


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