हिसाब बिगड़ जाता है Ghazal-hindi-in_

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 हिसाब बिगड़ जाता है

खुद से खफा हो जाता है

उसकी ही धुन में हूॅं सदा मगर

गैरों के ख्याल से खलल पड़ जाता है

उसकी याद ही काफी है दिल को

पतझड़ में भी हरा हो जाता है

मैं जानता हूॅं मेरे जख्म भरेंगे नहीं

मगर उसे देख के आराम हो जाता है !!!

Ghazal-hindi-in_

तुम आज भी वही हो

जो बरसों पहले रामायण काल में थे
एक सत्य से भिन्न विचार
उच्छृंखलता लिए हुए
सूर्पनखा जैसी
वासनाओं को 
प्रेम रूप में  
प्रदर्शित करने के लिए
मनमर्जी चलाने की
कोशिश की है तुमने
आज फिर कोई राम - लक्ष्मण को
फंसाने का प्रयास है तेरा 
भले ही तुम
रूप सुन्दरी का धर लो
लेकिन हो वही
सूर्पनखा !!!

तुम आज भी वही हो
रावण जैसे
अहंकारी
खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए
कई छल करते हो
दूसरों को
मामा मारीच बनने के लिए
प्रेरित करते हो
ताकि छला जा सके
कोई राम
कोई सीता 
अपने अहंकार की
पुष्टि के लिए  !!!

तुम आज भी वही हो
महाभारत के शकुनि जैसे
घर - घर में
राजनीति घुसाने की
कोशिश होती है
तुम्हारी
ताकि लड़ाया जा सके
फिर कोई
कौरव - पांडव
और नष्ट हो जाए
पूरे वंश
तुम्हें क्या
तुम्हें तो 
सियासत से मतलब है !!!

तुम आज भी वही हो
अपने तर्कों से 
भ्रम फैलाने का
विचार बदलने का
ताकि अपना एजेंडा
स्थापित किया जा सके 
इसलिए....
काम जारी रखें हो
जैसे पहले था 
तुम आज भी वही हो
बस सभ्यता दिखाकर
व्यवहार बनाकर
हमारे बीच रहते हो
पहले से और शातिर होकर !!!

स्थापित होने नहीं देते हो
कोई सत्य
कोई एकरुपता
जिससे बेहतर
समाज का निर्माण न हो सकें
अपना तर्क ले आते हो
कुछ सवालों के साथ
जिसमें तुम्हारा एजेंडा
छुपा होता है 
भयानक !!!!!



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