खालीपन कब भरेगा दिल का Ghazal-hindi-in

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 खालीपन कब भरेगा दिल का

कोई अपनापन मिलेगा दिल का

न जाने कैसे उससे प्यार हो गया

जो समझता नहीं कभी दिल का

उसके शहर में मेरा भी मकान है

जहॉं हर शख्स अनजान है दिल का

उसके भरोसे जीए तो जीए हम कैसे

जो आदमी नादान है बहुत दिल का !!

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तन्हाइयों में रहने की आदत नहीं
ढूंढा उसे बहुत मगर कोई फायदा नहीं

पास आकर सब मुझे लगने लगे मतलबी
इतनी जल्दी मेरे दिल कोई भाता नहीं

व्यवहार के रिश्तों में बातचीत होती है
न टूटा न जुड़ा इससे कुछ ज्यादा नहीं !!

उससे मेरी कोई नाराज़गी नहीं
बस तन्हा था उसके बगैर
मगर मैं जानता था
वो मेरी जिंदगी नहीं
वक्त आया तो चेत गया
दोस्ती के नाम पर भेद गया
मगर हम समझ गए
उसे हमसे मोहब्बत नहीं
दिल्लगी नहीं !!!

मेरा खालीपन
मेरे पास रहने दो
इसने छोड़ी है
मेरे खातिर
और परिचय कराया
मुझसे
मेरे भीतर !!!!
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