Ghazal on knock
दिल पर दस्तक दी किसने
बदन को सिहरन दी किसने
थरथराने लगा मेरा रोम-रोम
मन रोमांचित कर दी किसने
हवाओं के झोंके संग आया कोई
धड़कनों को बढ़ा दी किसने
डगमगाने लगे हैं क़दम मेरे
मुझे यूॅं आवाज दी किसने
तन्हाई मुझे अब भाने लगी है
बैचैन मन को आग लगा दी किसने !!!!
Ghazal on knock
आहट हुई
हवाओं में
हमने सोचा
तुम आ रहे हो
और दिल
हवाओं सा लहराने लगा !!!!
तुम जो आए
दस्तक देकर
हमने समझा
ठहरोगे
जिंदगी भर
अपना घर
समझकर !!!!!
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