Poem Pndures Happiness and Sorrow
जिंदगी के साथ बहते जाते हैं
सुख-दुख को सहते जाते हैं
पेट की आग बुझाने के लिए
कई शहर गांव छोड़ के जाते हैं
माना वहॉं कोई आशियाना नहीं
गैरों के लिए महल बनाते जाते हैं
Poem Pndures Happiness and Sorrow
गांव का आदमी
शहर के बारे में जानता है
ऊंची-ऊंची इमारतें
चमचमाती गाडियां
सरपट दौड़ती हुई
सड़कें
अपने-अपने किनारे चलते हुए लोग
अपरिचित सा आदमी
पैसों के लिए भागते
सुविधाओं में जीने वाले
बैलेंस बनाकर
व्यवहार और व्यापार में
यही शहर है
लेकिन शहर का आदमी
नहीं पहचान पाते हैं गांव को
कभी भूले भटके आ जाते हैं
गांव तो
हर चीज
आश्चर्य से देखता है
गांव की धूल
नदी तालाब
गाय बैल भैंस
बैलगाड़ी, पगडंडी
जहां लोग एक ही रास्ते से गुजरते हैं
परिचित सा
एक दूसरे को
पहचानते हुए
बिन मतलब के
व्यवहार है
व्यापार नहीं !!!
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