Ghazal Motivational
मुक्त हो जाओ अहम से
मत सोचो अपने वहम से
जमाने अपने में मशगूल है
तुम भी जीओ अपने करम से
कौन यहॉं देता है किसी को
जीने वाले जीते हैं इसी भरम से
बुरे के साथ बुरे मत बनो लेकिन
कुछ नहीं मिलता ज्यादा नरम से
हक़ से जीना बेहतर है कुछ हद तक
मगर याद रहे इंसानियत बड़ी है धरम से !!!!
Ghazal Motivational
तथाकथित बुद्धिजीवियों ने
सच का उपयोग किया
ईमान का सहारा लिया
इंसानियत का चोला ओढ़कर
दुनिया को ठग लिया
अब सच आते हैं तो
यकीन नहीं होता
यही कि सच है !!!!
सच है तो सच है
गलत लोगों ने पहचान लिया
और ठग लिया
अपने झूठ से !!!
सच को जीतने के लिए
खुद को साबित करने के लिए
झूठ का उपयोग होना चाहिए
वर्ना सच पराजित रहेगा
झूठ के सियासत से !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 ग्रहणशीलता और आप
0 टिप्पणियाँ