Articles on Spiritual Knowledge मृत्यु एक स्थिरता है । अपने मूल स्वरूप में ।चेतन तत्व का । शरीर के टूटने और पकड़ छूटने से निर्मित होती है । उस चेतन स्वरूप को कष्ट,, पीड़ा का अहसास नहीं होता है । जो इन्द्रियों में बंधने से होता है । जब शारीरिक संरचना चेतन तत्व को बांध नहीं पाते हैं । वहॉं केवल यौगिक क्रियाएं रह जाती है । जैसे सड़न,, अपघटन । अंततः नष्ट हो जाते हैं । जो चेतन तत्व के कारण क्रियात्मक नजर आ रही थी ।
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देखने वाले को भयानक लग सकता है शरीर का टूटना किन्तु उस शरीर को नहीं । क्योंकि वह चेतना रहित होने लगते हैं । जहॉं सोच नहीं उठती है । जीवित इंसानों जैसे !!!!
मृत्यु
एक दिन विश्राम देगी
जिंदगी की थकावट से
जहां शिकायत नहीं रहेगी
जिंदगी जैसी
उदास नहीं रहेगी
पूर्णतः अंतिम शांति
जहां हम बेशक जाना नहीं चाहते हैं
लेकिन मृत्यु बुरी नहीं
जिंदगी हालांकि स्थायित्व के साथ
स्वीकार नहीं करती
हमारे बुलाने पर भी
लेकिन मृत्यु बिना बुलाए
स्वीकार करती है
सदा के लिए !!!!
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