poem on ram
"राम"अनंत विस्तार है
जीने का आधार है
शांति के प्रतीक है
क्रांति के प्रतीक है
अपनी मर्यादा में रहकर
कष्टों को सहकर
जो लड़ने को तैयार है
"राम" जीवन का आधार है
तुम उठो और जागो
नित कर्तव्य पथ पर भागो
सफल होगा जीवन तेरा
अपना भाग्य जगाओ
कर्म अनंत विस्तार है
"राम" जिसका आधार है
सुख शान्ति पाओगे
अपना पथ सुगम बनाओगे
जीवन को उत्सव रूप में पाओगे
जब राम गुण गाओगे
"राम" बिना जीवन बेकार है
"राम" का रचा संसार है
"राम" जिसका आधार है
"राम"अनंत विस्तार है
"राम" में सृष्टि समाया है
"राम" से सबकुछ पाया है
जीवन इससे बड़ा नहीं
"राम" के बिना कोई खड़ा नहीं
निश दिन जो नाम पुकारे
"राम"भवसागर से पार उतारे !!!
जय श्री राम
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2 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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