तलाश के बाद की निशानी

poem on love Talaash 

 एक शाम की कहानी

तलाश के बाद की निशानी

दरख़्त ढूंढती है जिंदगी

चहचहाती चिड़ियों की जुबानी

अपनो को देख तड़प जाती है

लेकर प्यार और ऑंखों में पानी

सुबह फिर शुरू होगी सबकी तलाश

दौड़ धूप के बीच फंसी जिंदगानी

भटकता रहा मैं दर-बदर रोज़ ही

आ गए किस मोड़ पे ये जिंदगानी !!!

poem on love Talaash 

अपनों का प्यार

खींच लाया यार

तेरे शहर में 

जिनकी खुशियां

मेरा संसार

मैं कभी थका नहीं

कभी रूका नहीं

सिर्फ खरीद के ले जाऊंगा

खुशियां

जिसके लिए आया हूं

तेरे शहर में !!!

एक शाम की कहानी

कोई ढूंढती जिंदगी सड़कों पे

भटकते-भटकते

चलते-चलते

कोई रिक्शा चलाकर

कोई ईंट पत्थर जोड़कर

कोई कचरे से

पन्नी छांटते हुए 

हिसाब-किताब लगाता है

कितनी ख़रीदीं जा सकती है

खुशियां 

मेहनत के बल पर

कितना भरोसा किया जाय कल पर 

लौटकर घर पर

सोचती है 

जिंदगी 

कल कैसी रहेगी तलाश की निशानी 

हर शाम की कहानी !!! 

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poem on love Talaash




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