वो कोई और नहीं

 वो कोई और नहीं

मेरा प्यार था

जीने मरने को

जो तैयार था

थामा था मुझे वो

जिसके बाहों में

संसार था

न कसमें वादे

फिर भी एतबार था

न उसने कही

न मैंने कहा

ऑंखों ही ऑंखों में 

जिससे प्यार था


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