खुद ही परेशान होना ठीक नहीं Ghazal Himself is Upset

Ghazal Himself is Upset 

खुद ही परेशान होना ठीक नहीं 

 किसी की बेरूखी से तंग आकर

खुद ही परेशान होना ठीक नहीं

जिंदगी अपनी तो नजरिया अपना हो

किसी की बातों में आना ठीक नहीं

चंद दिनों की जिंदगी है जीओ हॅंस के

यूॅं उदासियों में जिंदगी जीना ठीक नहीं

कोई क्या बोलता है ? क्यों बोलता है ?

बेवजह समय गंवाना ठीक नहीं 

मुद्दत हो गई उससे मिले मुझे

सिर्फ ख्यालों में दिल का लगाना ठीक नहीं !!!!

Ghazal Himself is Upset

समय काटने के लिए

तुने पान ठेला चुना होगा

अखबारों के पन्ने पलटकर देखा होगा

तुम्हें लगा

पूरी ख़बर पढ़ ली

समय कटा

लेकिन दिल्लगी नहीं थी

उदासीनताएं

ज्ञान को संग्रहण नहीं करती है

समय काटने के जैसा निकल जाती है !!!!


जितना लोग रिश्तों को भुलाने लगे

कई दिवस रिश्तों के मनाने लगे

वो दिन रात काम करता है समय नहीं

सरकार ने छुट्टी दी और दिवस मनाने लगे

जिसे याद आया किस बात की छुट्टी है

शामिल हुए रिश्तों में और दिवस मनाने लगे !!!!


गांव छोड़ शहर आए हो

गांव में रिश्ते, शहर में अनजान आए हो

तुम तो बस ही गए शहर में

गांव के रिश्तों के खातिर शहर आए हो !!!!


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