तन्हाई में मेरा साथ न छोड़
अंधेरी रात में साथ न छोड़
अकेले सफ़र अब मुश्किल है
इस मोड़ पे मेरा हाथ न छोड़
क्या है तेरी यादों के सिवा पास मेरे
मेरे जीने का सहारा है साथ न छोड़
बड़ी मुश्किल है अकेले सफ़र मेरा
मुझे पाना है मंजिल अपना हाथ न छोड़
---राजकपूर राजपूत''राज''
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