भटकता क्यों है मेरे दिल

 क्या चाहिए तुझे मेरे दिल

भटकता क्यों है मेरे दिल

अरमान के दीए जलाकर

सदा जलता क्यों है मेरे दिल

बड़ी मुद्दतों से मिली मुझे वो

ताकते क्यों रह गए मेरे दिल

मन ही मन गुफ्तगू जारी है उसकी

किसका पता पूछते हो मेरे दिल

अब ठहर जा किसी की बाहों में

इतना भटकना ठीक नहीं है मेरे दिल


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