article on perspective नजरिया अपना अपना
नजरिया या दृष्टिकोण,, स्थापित समझ है,, खुद की । जिससे लोग एक-दूसरे को देखते हैं । एक दायरा बनाकर । तत्क्षण आके जाते हैं । किसी की समझ, प्यार,, बातें,, व्यवहार, नफ़रत,, घृणा ।
जो उसके अनुभव और अनुभूति पर निर्भर होता है । जो जरूरी नहीं कि व्यापक हो या संकुचित । जिसमें बदलाव की उम्मीद देखी जाती है ।
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उसकी ग्रहणशीलता पर निर्भर करता है । जो सतत जागरूक है ।उदार है । अपने दृष्टिकोण से । यथा उचित सत्यता की परख की क्षमता होती है । स्वयं को हर हालत में सामंजस्य बैठाने की अद्भुत शैली के कारण सदैव शांति का अनुभव करता है । ऐसा उदारता या नरमीपन के वजह से हैं । जबकि इससे भिन्न जो अपने विचारों में कट्टरता रखते हैं । किसी की बातों को अनदेखा करते हैं । वो खुद से तैयार नहीं होते हैं । ये अलग बात है कि अपने बातों को तर्कों द्वारा स्थापित भी कर लेते हैं। जहॉं से जड़ता शुरू होती है । मृत्यु पर्यन्त तक !!!!!
मैंने बदला है नजरिया
जैसे लोग अपनों के धोखे से
परेशान हो कर
रिश्तों को बोझ मानते हैं
मैंने तो सीखा है
अपने है इसलिए धोखे हैं !!!!
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