इक परिंदे सी ये जिंदगी
दर-दर भटकती ये जिंदगी
दाना पानी का ठिकाना नहीं
तलाश में भटकती ये जिंदगी
अभी मैं मरा नहीं जिंदा हूॅं
आख़री आस तक है ये जिंदगी
उकता गई है जब अपनी दौड़ से
लिपट के सो गई ये जिंदगी
इक परिंदे सी ये जिंदगी
दर-दर भटकती ये जिंदगी
दाना पानी का ठिकाना नहीं
तलाश में भटकती ये जिंदगी
अभी मैं मरा नहीं जिंदा हूॅं
आख़री आस तक है ये जिंदगी
उकता गई है जब अपनी दौड़ से
लिपट के सो गई ये जिंदगी
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