बदलते समाज का डर article changing society

 आज के जमाने में सबसे बड़ा डर है कि इंसान मशीन न बन जाए ।/article changing society संवेदनहीन ,, यदि है तो खुद के प्रति है । अच्छी बातों को रट्टामार लिए है ।जबकि समझते कुछ भी नहीं है ।शेयर करना सोशल मीडिया पर और बन जाते हैं शिक्षित । इस तरह बताते सबको है ।अपने विचारों के सिवा किसी के विचारों का समर्थन नहीं करते हैं । 

article changing society

सच और गलत का कोई मायने नहीं है ।जब तक उसकी सुविधा न हो । आजकल के जमाने में । बस खुद को साबित करना है । जो कट्टरता है । मुर्खता है । यह एक प्रकार की कट्टरता है । जिसे सब लोग खुद के भीतर बनाएं हुए हैं । 

जो सियासत नेताओं के बीच में थे । आम लोग भी आसानी से करते हैं । मतलबी दुनिया में असभ्य,, बर्बर समाज को इस तरह से पेश करते हैं कि मानो वह बहुत अच्छा है । मुर्खो को खुश कर अपना मतलब साधने का प्रयास करते हैं । कोई निष्पक्ष व्यक्ति नहीं दिखाई देते हैं । सबके सब ऐजेंडा धारी है ऐसा लगता है । कही न कही से उसे पैसा और चंदा मिलता है । 

मुर्ख और असभ्य 

ऐसे में डर इस बात का है कि ये मूर्ख और असभ्य समाज आगे जाकर पूरी मानवता के लिए खतरा पैदा न हो जाए । बुद्धिजीवी केवल समझदार की ही आलोचना करते हैं । जो समझते हैं । गवार से बचकर निकलते हैं । साहस उसके पास नहीं है । आरोप-प्रत्यारोप लगाना । खुद को बेहतर दिखाना । ऐसी मानसिकता है जो अंधापन है । 

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