मैं जानता हूॅं
तेरे शब्दों को
सेलेक्टिव है
एक ऑंख से काना
दूसरे से एक्टिव है
तुमसे उम्मीद ही क्या
जो सदा नेगेटिव है
दुसरों की खुशी देखी न गई
खुद के लिए पाॅजिटिव है
मैं जानता हूॅं
तेरे शब्दों को
सेलेक्टिव है
एक ऑंख से काना
दूसरे से एक्टिव है
तुमसे उम्मीद ही क्या
जो सदा नेगेटिव है
दुसरों की खुशी देखी न गई
खुद के लिए पाॅजिटिव है
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