Thirst Poem in Hindi
प्यास ले आई
एक दूसरे के करीब
जैसे नदी की धारा को
सागर के करीब
जैसे भौरों को
फूलों के करीब
ऐसे ही ढूॅंढता हूॅं जिंदगी
तुझे समझकर अपना नसीब !!
Thirst Poem in Hindi
नदी अतिक्रमण कर
शहरों में नहीं घुसी है
कभी उनका हिस्सा था
जिसमें अतिक्रमण कर गए हैं
लोग
जिससे मिलने आई है
आदमी रे ! फ़िक्र न कर
कुछ देर मिलकर चली जाएगी
पुनः अपने गंतव्य पर !!!
धरती की व्याकुलता
बादल समझ गया था
जब गुज़रे
तब बरस गया था !!
एक दूसरे के करीब
जिसका नसीब
प्यास का अहसास नहीं होता है
अगर रिश्ते खास होता है !!
वर्षा की बूंदें
पत्तियों पर ठहरे
सहेजना चाहता था
हर बूंद
फिर भी सरक गया
वर्षा की आख़री बूंद !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 कोई लिखता है कोई दिखता है
0 टिप्पणियाँ