न्याय की कीमत वहीं झलक गई Ghazal Nyaay ki Kimat

Ghazal Nyaay ki Kimat ख़बर उनकी है । जिनका रूतबा है । उनके शौचालय जाने से लेकर नहाने,खाने, पीने सबकी सुध ली जाती है । उठना बैठना बहुत जरूरी ज्ञान है । जिसकी ख़बर सबको होनी चाहिए । इसलिए समाचार वाले अपने जान जोखिम में डालकर हमें जानकारी पहुंचाते हैं । जिसे सुनकर सबको आराम मिलता है । ऐसा आजकल के मीडिया का मानना है । पढ़िए इस पर कविता 👇👇

Ghazal Nyaay ki Kimat

 न्याय की कीमत वहीं झलक गई

अंतस की पीड़ा देखो झलक गई

जो ऑंखें वीर जवानों पे कुछ नहीं डोली

एक आर्यन के लिए झलक गई

ध्यान रहे प्रसिद्ध अभिनेता का बेटा है

ऐसे ही तर्कों से न्याय परिभाषा झलक गई

जो गुमनामी के अंधेरे में जीते हैं गरीब

कौन लड़ेगा उसकी लड़ाई समझ झलक गई !!!

रोज़ गरीब मरता है

न जाने कैसे पेट भरता है

ख़बर कई है बड़े लोगों की

ग़रीब की सुध कौन करता है

एक आर्यन फंस गया गलत कामों में

जिसकी सुध रोज लेता है !!!


तुम जो देखते हो

तुम जो समझते हो

तुम्हें देखाया गया है

समझाया गया है

वर्ना किसी फिल्मी हस्तियों से

पेट भरता है क्या ??



कुछ लोग 

पाखंड केवल 

बाबाओं, साधुओं और धार्मिक कृत्यों में शामिल 

लोगों तक देखने की आदत बना ली है 

जबकि 

तथाकथित बुद्धिजीवी 

ज्ञान देने के नाम पर 

कोचिंग सेंटर 

सोशल मीडिया पर 

धंधा चला रहा है 

इसे भी पाखंड से जोड़ों !!!!!

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Ghazal Nyaay ki Kimat




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