Idea-दिल और दिमाग -
सारी भावनाओं का जड़ मस्तिष्क में है ।Idea Dil aur dimag लेकिन बदनाम दिल होता है । क्योंकि सारी भावनाओं को आक्सीजन दिल ही देता है,, मस्तिष्क केवल उसे सजाते हैं,, अपनी सुविधानुसार ।
जिस भाव में मस्तिष्क संदेश देता है । ठीक उसी भावों को दिल सजाने लगता है । मस्तिष्क की समझ बेहतर अहसास और हृदय की उन्नत अवस्था का प्रमाण है ।
Idea Dil aur dimag
जिसने दिल और दिमाग में तालमेल स्थापित नहीं कर पायें हैं ! उसे जीवन भर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ! दिल कहीं और रहता है ! तो दिमाग कहीं और !जिसके कारण किसी कम में मन नहीं लगता है ! इसलिए दिल और दिमाग के बीच तालमेल बहुत जरुरी है !जो यह कहता है की मैं दिल की बातों को सुनता नहीं ! वह बेवकूफ है और जो दिल के आधीन हैं , वो भी इसी केठेगेरी मं आते हैं !
दिल संवेदनशीलता का प्रमाण है । जिसके व्यापक या सीमित होना, किसी के दिमाग पर निर्भर करता है । दिमाग का व्यापक होना मानवीय मूल्यों की समझ पर निर्भर है । जबकि सीमित होना स्वार्थपरक ।
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-राजकपूर राजपूत
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