दर्द पाया बहुत ghazal love

ghazal love

 तुझे चाहा बहुत 

इसलिए रोया बहुत 

तुने मुझे न समझ पाया

मगर समझाया बहुत 

दिल्लगी भी क्या चीज़ 

इश्क में दर्द पाया बहुत 

बैचेन है दिल मेरा

लाख समझाया बहुत !!!

ghazal love

एक आवाज लगाना

मैं उस गली से मुड़ आऊंगा

जिधर से तुम्हारा आना 

रह न पाऊं मैं कहीं

दिल में बार-बार हूक उठ आई

धीरज तुम बैठाना

एक आवाज लगाना

दौड़-दौड़ मैं भटक गया हूॅं

दिल को आराम लगाना

एक आवाज लगाना

खोई-खोई, सोई  - सोई 

आंख भर आई

चैन न होगा अभी

एक धागे से  मुझे बांधे रखना

एक आवाज लगाना  !!!!


मिले हमें भी कभी गले लगाने वाले

साथी हो दर्द सुनने और सुनाने वाले !!!


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