तेरी फ़ितरत मैं जानता हूं shayari on habit.

shayari on habit

 घाव कुरेद के क्या पाएंगे आप 

हँसोंगे नहीं तो मुस्कुराएगे आप 

तेरी फ़ितरत मैं जानता हूँ 

फिर से यही प्रश्न दोहराएगे आप

सवाल भी तुम्हारा था, 

जवाब भी तुम्हारा था 

मनमाफिक इरादे स्थापित करेंगे आप !!!

shayari on habit

पढ़-लिखकर वाचाल हो गया

उसके तर्क ऐसे भूचाल हो गया 

जब से प्यार हुआ है मुझे

अब सिर्फ उसका ही ख्याल हो गया 

तेरी फितरत तेरी नफ़रत है

हर बात पे अविश्वास हो गया !!!



Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ