एक सुरक्षित घेरा जैसे -कविता

 तुम्हारा साथ जैसे

एक सुरक्षित घेरा जैसे

जहॉं मैं विचरण करता हूॅं

हॅंसता हूॅं,गाता हूॅं

तेरी यादों में सोता हूॅं

 जागता हूॅं

स्वच्छंद, उन्मुक्त गगन में

पंख पसारे अपने ही मगन में

बसते हो सदा मेरे मन में

हर क्षण तुम पास हो जैसे

तुम्हारा साथ हो जैसे

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