ज्ञान की जड़ता poem on life

poem on life 

आत्मज्ञान का बोध

हकीकत का शोध

सभी कर लिए हैं

वैज्ञानिकों की तरह

खुद के लिए दृष्टिकोण

जिसमें जीते हैं 

आजकल के लोग

अकाट्य सत्य की तरह

खुद के लिए

एक मापदंड हैं

जिसमें निर्धारित है 

दुनिया,,

अगर मतलब के दायरे से

बाहर है कोई

उससे संबंध नहीं कोई

इसलिए उदासीन है

हर कोई

एक दूसरे के लिए

शंका करके

और ये आत्मबोध

उसे बांधे हुए है

किसी जड़ता की तरह

निरंतर !!!

poem on life

ज्ञान 

बनाया जाता है 

ज्ञान सिखाया जाता है 

बड़ी संख्या में भीड़ बनकर 

झूठ को सच दिखाया जाता है 

उसने कहा सिस्टम हमारा है 

हो-हल्ला मचाया जाता है 

लोग फैसला नहीं कर सकें 

इस तरह से तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''


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