मेरी कविताओं के शब्दों को

 क्या तुम समझ पाए

मेरी कविताओं के शब्दों को

उसके बोल को

जिसे मैं

कभी व्याकरण में नहीं बांध पाया

विफल रहा

ताल-लय में

सजाने में

जो फूट पड़ते हैं

अचानक तेरी याद आने से

दर्द में

कशक में

इसी उम्मीद में

कभी समझ पाओगे

मेरी कविताओं को

और मेरे प्यार को



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