ज़मीं के बारे में सोचते मगर

 रहे आसमानों में उड़ते मगर

ज़मीं के बारे में सोचते मगर

आसमां को नापते हैं ऊॅंचे पेड़ भले

ज़मीं से ही पोषण लेते मगर

हक़ जताते थे जिन बेटों पर सदा

बुढ़ापे में मॉं बाप हैं डरते मगर

हर हार की वजह वक्त नहीं है यारों

जीत जाते हौसलों से लड़ते मगर


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