इन ऑंखों में

poem on eyes

 इन ऑंखों में

मस्ती है

तेरे नाम की

बस्ती है

जहॉं मेरी मोहब्बत

हॅंसती है

रोती है

तेरे प्यार में

रात-दिन

जीती और मरती है !!!

कितना अकेला होगा 

वो आदमी 

जिसने प्यार में 

एक दुनिया बसाई थी 

मनचाहा 

लेकिन वही चली गई 

उस दुनिया से 

जिसे दुनिया समझता था !!!!

poem on eyes

इन आंखों ने 

प्यार न देखा 

देखा तो सिर्फ 

अपने भीतर के प्यार 

सबमें देखा !!!!


लगता रहा मुझे सभी पेड़ हरे हैं 

ये मेरी आंखों की पसंद हैं 

लेकिन उसने 

उतने हरापन नहीं देखा 

पसंद 

निर्धारित किया 

पेड़ों का हरापन !!!!



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