ghazal on love
वो फैसला तुम्हारा था
मगर दिल हमारा था
रिश्ते काट के तुम खुश हो
यक़ीनन दर्द हमारा था
छोड़ के चले गए तुम्हारी मर्जी
मगर मेरा प्यार हारा था
जाओ जहां भी खुश रहो सदा
हॉं यही ख्याल हमारा था !!
ghazal on love_
तुमने फैसला तो ले लिया
भीड़ के मुताबिक
मगर कभी सोचे हो
तुम्हारे फैसले में
तुम्हारी पहचान नहीं !!!
तुने साफ मन से मना नहीं किया
रिश्तों को मजाक बना दिया
तुम कभी आशा कभी निराशा लाते रहे
जिंदगी को उलझाते रहे
तुम खुद उलझे गैरों को भी उलझाते रहे !!!
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