जिंदगी की सीढीयॉं चढ़ते हुए
धीरे धीरे सही मगर चलते हुए
करीब से देखा हमने जमाने को
मतलब से सभी गले लगाते हुए
मुफलिसी भी अजीब है यारों
जिंदगी गुज़र गई रोटी तलाशते हुए
न उसकी गलती न मेरी गलती है
हम दूर हुए जिंदगी से लड़ते हुए
ये आसमां भी कितना ऊंचा है "राज"
झुक जाते हैं मेरे हौसलों से डरते हुए
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