article spiritual स्वयं को जागृत अवस्था में मृत्यु का वरण करना मोक्ष है । जो समाधी की स्थिति से निर्मित होती है । जो बहुत कठिन स्थिति है ।
मगर कुछ योगी पहले करते थे । अपने ध्यान की सिद्धि से मन,वचन , और कर्म को अपने इष्ट को समर्पित कर पूर्ण रूपेण से स्थिति हो जाना परमात्मा के स्वरूप में बन जाते थे। जहां शरीर के पकड़ कमजोर होने पर अपनी आत्मा को देखते हुए प्राण त्याग देते थे ।
जो भी योगी ऐसी स्थिति की प्राप्ति कर लेते थे । आनंद से भर जाते थे और एक शास्वत सत्य में जागृत अवस्था में समाहित हो जाते थे । न कोई बाहरी और न कोई आंतरिक शक्ति । जो बाहर है वो भीतर है । जो व्याप्त है सर्वज्ञ !!!!
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जब तुम खड़े हो जाओगे
अकेले
उस समय बहुत सारी रचनाएं
सृष्टि की
तुम्हें जकड़ नहीं पाएंगी
उन्मुक्त स्वतंत्रता का जीवन
महसूस कर पाओगे
न बंधन न गुलामी किसी का
खुद का अस्तित्व
व्यापकता के साथ
जी पाओगे
जिसे जीते जी
महसूस हो जाए
वहीं मोक्ष है !!!
अभी उलझा हुआ है
इसलिए सुख-दुख है
जिस दिन
इनका अहसास नहीं हुआ
उस दिन मोक्ष है
न काहू से बैर न काहू से दोस्ती
जीवन का नजरिया हो जाएगा !!!!
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