Poetry on debate
कोई न कोई
गलती तो की होगी
जिसकी सजा
किसी को मिली होगी
कोई न कोई
शुरूआत तो की होगी
जिससे इतना बड़ा
हादसा हुआ
कोई न कोई
बेवकूफ तो होगा
जिसने शुरुआत की होगी
और बात आगे बढ़ी होगी
जिसका फैसला अक्सर
सुनने,, देखने वालों ने
नजरअंदाज किया
अपने बचने की आदत से
जो इतनी बड़ी
बहस का कारण बना !!!!
तुने खुद को साबित करने के लिए
झूठ हजार बार बोला
जो समझ रहे थे
विरोध कर रहे थे
इसलिए तुने झूठ को सच बोला
तुम्हें स्थापित करना था
अपने इरादे
इसलिए खुद को सच बोला था !!!
तुने अपनी नफ़रत जानी
मैंने अपनी नफ़रत मानी
बहस शुरू
जो कभी खत्म न हुई !!!
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