poem on love
अपनी स्मृति में
मैं एक बार भी
नहीं छोड़ता
तेरा ख्याल
बेशक मैं दुनिया के
हिसाब किताब में
कुछ पल भटक जाता हूॅं
लेकिन उसी क्षण
फिर आ जाता हूॅं
तेरे पास
जहॉं
मेरा सुकून है
मेरा प्यार है
और
मेरे जीने का आधार है !!!!
poem on love
मेरी स्मृतियों में
रचे-बसे
मेरे शब्द
उभर आता है
जीवन के बीते पल
साहित्य के
शब्दों जैसे
शामिल कर लेता है
मुझे
हू-ब-हू
उस उम्र में
जिसे मैंने जीया था
उसी ताज़गी के साथ
महसूस करता है
मेरी स्मृति में
संजोए पल !!!!
जब तक
मेरे दिन गुज़रे तुम्हारे साथ
मुझे अहसास नहीं हुआ
कुछ कमी है
मुझमें
तुम्हारा साथ जो छूटा
जैसे मेरा सबकुछ लुटा
और मैं चला आया
उन स्मृतियों में
जिसे समेटा था
मेरा हृदय
बेहतर समझकर !!!!
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