बेवजह मन

 मैंने आज

कविता नहीं लिखी

यूॅं ही उलझा रहा

मेरा मन

बेवजह

इधर उधर की बातों में

जहॉं मैं नहीं था

मेरा मन था

स्वयं को भूलकर

बेवजह

दिनभर !!!!!

बेवजह मन



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