poem-on-love_प्रेम दिल्लगी करके छोड़ा नहीं जाता है । जो भूल जाते हैं । उसने कभी प्यार किया ही नहीं है । बल्कि एक बार प्रेम हो जाता है । वो पूरे जीवन भर यादों में चुभन दे जाती है । उसके प्रेम की निशानी हमेशा यादों में ताजगी भरती है । जब भी स्मृति में उसकी यादें उभरती है ।
poem-on-love
तुम्हें सौंपते हैं
प्यार के फूल
जिसे किताबों में
छुपा लेना
जमाने से
और जब भी
हमारी याद आएगी
देख लेना
किताबों के पन्नों में
दबी फूल की
पंखुड़ियों को
जहॉं मेरी मोहब्बत
खुशबू बिखेरेगी
तुम्हारी स्मृति में !!
मेरी मोहब्बत
किताबों के बीच
सूखने मत देना
तुम
बीच बीच में
पन्ने पलटते रहा
हवा देते रहना
ताकि ताजी रहे
हमारी मोहब्बत !!!
प्रेम मेरा
अस्थिर रहा
जहां भी गया
जगह की कमी थी
उम्मीद बहुत थी
लेकिन ठहरा नहीं
सभी जगहों पर
नफ़रत ने ठेरा डाल ली थी
इसलिए भटकता रहा
मेरा प्रेम !!!
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