कई बार स्मृति

 कई बार ऐसा हो जाता है

किताबें पढ़ के मान जाता है

हालांकि की अनुभूति नहीं होती

विस्तृत उसकी श्रुति नहीं होती

सिर्फ लकीर पीट के मान जाता है

कई बार ऐसा हो जाता है

बगल में रखा बच्चा खो जाता है

ढूंढता है अगल-बगल नहीं मिल पाता है

ध्यान जब आता है

आदमी शर्मिंदा हो जाता है

कई बार ऐसा हो जाता है

कई बार स्मृति में



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