भीड़ में गया तो खालीपन

poem emptiness

 फिर घिर आया सुनापन

भीड़ में गया तो खालीपन
इस भीड़ की आवाजों के बीच
तन्हाई सुन रहा था मेरा मन
बेसहारा, बैचैनी लिए फिरता रहा
शायद ! ढूंढ़ रहा था अपनापन !!!

poem emptiness

तुम्हारी चुप्पी
शब्दों की तरह था
जिसे हवा
मेरे कानों के भीतर से
हृदय तल तक लें आया 
जिसे सुन
मैं कहना चाहता था
मन की बात
मगर तेरी आंखों ने
सुनने से मना कर दिया !!!

सुनापन टूट जाता

मगर मैंने तोड़ा नहीं
बल्कि बांधकर रखा
जो शब्दों में कहा
उसे दुनिया ने नहीं सुनी
जो चुप्पी में थी
सब समझ रहे थे !!!

गरजते हुए बादल
उटपटांग बरस गए
न प्यास बुझी
न आस टूटी
मैं चाहता था
रिमझिम - रिमझिम बरसे
जमीं में सधने तक !!!

भाषा समझने का प्रयास है

चुप्पी बेहतर
समझाने का
मेरी चुप्पी के सामने
लोग बेवजह
वादा नहीं करते हैं
लम्बे - लम्बे !!!

प्रेम महसूसने की चीज़ है
जिसे चुप्पी में
स्पर्श किया जाता है
भीड़ से अलग
बिना बताए किसी को !!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 रिश्ते आजकल 
poem emptiness
poem emptiness





Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ