मैं और तुम

 तुम और मैं जैसे

प्यार की तलाश में हैं जैसे

ये दिल वही ठहरता है

जहॉं प्यार मिले हैं जैसे

जब भी देखूं तेरी ऑंखों में

हॅंसती ऑंखों में दर्द है जैसे

कुछ रिश्ता है तेरे मेरे बीच में

ऐसा लगता है तेरा दर्द मेरे है जैसे !!!!


मैं और तुम 

हो जाते गुम 

जब तक याद रहा 

अलग-अलग 

मैं और तुम !!!!


दूरियों को लाज़मी समझने वाले 

प्यार को कहां समझने वाले 

नदियां दूर से आ कर 

तोड़ देती है 

चट्टान 

सागर से मिलने की बेताब में !!!!!



रिश्तों की पहचान हैं 

फिर भी अनजान हैं 

तो

इरादे सुविधाओं के भूखें 

रिश्तों में बची कहां जान है !!!!


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