Shayari Himmat Par
बर्दाश्त करने की हिम्मत रखो
वक्त गुजर जायेगा हौसला रखो
आसमॉं भी झुक जाएगा एक दिन
इतना अपने इरादों पे फैसला रखो !!!
सच में झूठ मिलाया जाय
इतनी हिम्मत की जाय
लोग यकीं झूठ पे करते हैं
झूठ के भरोसे समझाया जाय
चलन से सीखें हुए लोग
Shayari Himmat Par
झूठ का व्यवहार बताया जाय !!!
लोग तोड़ेंगे साथ छोड़ेंगे
मगर मुझे अकेले चलना है
भरोसा अब किसी पे क्यों किया जाय
जब फैसला हो चुका अकेले चलना है !!!
बर्दाश्त कर लो कोई नहीं तेरा
मतलब निकालने साथ आएंगे तेरा
कौन अपना कौन पराया
सबकुछ लूट ले जाएंगे तेरा !!!
चलने से पहले तू सोच लेना
मुसीबत आएगी
कोशिश बस कर लें तू
चलकर मोहब्बत आएगी
सच कहूंगा तो जमाना छूट जाएगा
झूठ कहूंगा तो दुनिया साथ आएंगी !!!
हिम्मत फैसलों की होती है
कहने बस से क्या होता है !!!
हिम्मत किसी और का नहीं
अपनी नहीं तो तू जिंदा नहीं !!!
निर्णय में टिकने का सवाल है
जहां हर ज़वाब का हल है !!!!
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