बरसो रे बादल Poem baadal barse

Poem baadal barse 

(१)

 सबसे पहले

बरसों रे ! बादल

प्यास बुझे

तन मन का

हरियाली बिछ जाय

मेरी ज़मीं पे

और प्यास मिटें

इस जीवन का !!

(२)

तेरी आस में

मेंढ़क भी हैरान 

झीगुरें भी परेशान

निकलने चाहते थे

कई जीव 

बारिश की बूंदें पाकर

किसान हल लेकर जाना चाहता है

खेतों पर 

सबकी एक ही आस

बरसों रे ! बादल !!!

(३)

बादल खंडों में बिखर गया

सबका हृदय तरस गया  !!


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