काम की बात नहीं करते Poem - Prem Hindi

Poem - Prem Hindi 

 काम की बात कुछ नहीं करते

यूॅं ही अंतर्मन में क्यों बातें करते

जिसका ध्यान आया तो ख्याल आया

रे !मन क्यों व्यर्थ में विचार करते 

स्थिर हो कभी अपने प्रेम में जीते

व्यर्थ की तलाश में क्यों भटका करते !!!!


छोड़ना है

तो रोना कहां आता है

जिसे छोड़ना नहीं

छोड़कर जाना पड़ता है

उसके लिए रोना आता है

भाग्यशाली की तरह

वह वहीं रहता है

हम उसके इर्द-गिर्द भटकते हैं

तब रोना आता है

चाहकर न पा सकने में !!!!

Poem - Prem Hindi

आंसू

उम्मीद बनकर बही

और उम्मीद दिल से निकल गई !!!!


अभी और रोता

अगर उम्मीद बची होती

लेकिन आंसू नहीं है

जैसे मेरा कोई नहीं है !!!!

छोड़ ही देना चाहता था

बस यही एक विचार

मेरे प्रेम को बदलने के लिए काफी था !!!!

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