स्वार्थी लोग Poem selfish people

Poem selfish people 

लोग स्वार्थ में जीते हैं 

तुम्हें अच्छा लगता होगा

अपने स्वार्थ की सिद्धि में

जिसे तुने हृदय से स्वीकारा है

सारी दुनिया को भूलकर

सारे नियमों को ताक में रखकर

अपनी मर्जी चलाने में

तुम्हें अच्छा लगता होगा

मनमाफिक बातें

स्वार्थ भरे इरादे

सिद्धांत विहीन हो कर

जीने की आदत में

तुम्हें अच्छा लगता होगा

ईमान की बातें करना

बात-बात पे विद्वत्ता झाड़ना

दूसरों को दोष देना

खुद के भीतर न झांकना

तुम्हें अच्छा लगता होगा

बात को पलटने में

सियासत करने में

कोई सच सामने न आ जाए

झूठ बोलकर बहाने बनाने में

तुम्हें अच्छा लगता होगा

खुद के माइंड सेट करने में

पूर्वाग्रही होकर जीने में

दूसरों से क्या मतलब

खुद के मतलब पे जीने में!!!


आजकल कुछ बातें न कहो तो ठीक है

वर्ना लोग अपनी बातों पे ढीठ है 

मतलब की उम्मीदों पे खींच लाया है

वर्ना अपरिचित ही ठीक है

दावे उसके बड़े-बड़े

न निभाएं तो भी ठीक है

कड़े  शब्दों से फर्क नहीं पड़ता है

तेरा जुबान कहने तक ठीक है !!!

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