उलझनों का मारा

 उलझनों का मारा

इसलिए तेरे सामने हारा

तू ही मेरा सुकून है

कहॉं जाए ये दिल बेचारा

जिंदगी में ठोकरें बहुत हैं

मुझे सिर्फ तेरा सहारा


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ