बारिश की बूंदें Poem on rain

 Poem on rain

बारिश की बूंदें

 हैं बूंदें अभी भी

पेड़ों की पत्तियों पर

बारिश की

जिसे सूरज का इंतजार

ताप मिली और सरक जाएगी

ज़मीं पर

प्यास जो अधूरी थी

लेकिन चाहत पूरी थी

तुम गरजो बरसों रे ! बादल

प्यास मिट जाएं

तेरी एक बूंद की

नमी पर !!

Poem on rain

जब भी तपन बढ़े

तन मन जलें

मन व्याकुल हो

व्यथित हो

तुम बरस जाना

रे ! बादल

रिमझिम रिमझिम

फिर घनघोर !!!


नाच उठी पत्तियां

बारिश की बूंदें पाकर

कल सुबह देखना

उसकी रंगत

हरियाली छाई हुई !!!

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Poem on rain


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