परख कर करोगे भी क्या Ghazal Parkhanaa - Chanch Hindi

Ghazal Parkhanaa - Chanch Hindi परखने वाले परखते हैं । जैसे वे जान पहचान बढ़ा कर रिश्ता निभा लेंगे । लाभ/हानि का अनुमान लगाते हैं । फ़ायदा देखकर रिश्ते बनाने के लिए । लेकिन रिश्ता में नुकसान देखकर साथ छोड़ देते हैं । बातें ऐसी कि रिश्तों की पहचान और जिम्मेदारी उससे बेहतर कोई नहीं जानता है । इसी पर कविता हिन्दी में 👇👇

Ghazal Parkhanaa - Chanch Hindi 


परख कर करोंगे भी क्या

लाभ-हानि से प्यार करोंगे भी क्या

सौदेबाजी व्यापारी की पहचान है

ये दिल हमारा खरीदोगे भी क्या

इश्क की राह बहुत कठिन है

मेरे सफर में चल पाओगे भी क्या

जहॉं शक है वहां मोहब्बत नहीं

तो फिर परख कर पाओगे भी क्या

इतना बता दें इश्क तुझे है कि नहीं

ऐसे सवाल उठाकर पाओगे भी क्या

तुम मुझे पाना चाहते हो या यूं ही दिल्लगी है

व्यवहार को चाहत बनाओगे भी क्या

तेरे तर्क तेरे सवाल से मुझे मतलब नहीं है

कमजोरों में ठीक है मुझे बहलाओगे भी क्या  !!!

कवि

जब लिखता है 

कविता

किसी के दर्द

किसी की पीड़ा

देखकर लिखता है

कविता 

लेकिन जब कवि 

स्वयं को अति के भाव में देखता है

और लिखता है 

कविता

तब वो व्यक्तिवादी हो जाता है

और थोपने लगता है

स्वयं के विचार

सामाजिक न्याय के रूप में !!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''

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