जान बसती है

 दिल को मत अनसुना करो

जान बसती है इसलिए सुना करो

मैंने चाहा है तुम्हें दिलो-जान से

इसलिए गैरों में बेहतर चुना करो

कहॉं पहुंचेगा मन उसे ख़बर नहीं

सुकून ढूंढता है दिल जहॉं बसा करो

भाग-दौड़ की जिंदगी में कहॉं तक दौड़ेगा

कभी-कभी दिल के पास भी ठहरा करो


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