सीरत कुछ और थी

Sirat-khuch-aur-thi 


कहानी कुछ और थी

जुबान कुछ और थी

सियासत में छुप गया चेहरा

सीरत कुछ और थी

हाथ मिलाया दिल नहीं

मोहब्बत कुछ और थी

बारूद के ढेर में बैठा हुआ

इंसानियत कुछ और थी

मुझे पैसों से तौलते हैं सभी

मेरी दुनिया कुछ और थी

---राजकपूर राजपूत''राज''

सीरत कुछ और थी



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