चॉंद का दीदार Ghazal Prem Hindi

Ghazal Prem Hindi 

 चॉंद का दीदार होता है

जब रात होती है

मेरी तनहाई में रात भर

उससे बात होती है

ख़्वाब सजाता हूॅं रातों को

ख्वाबों में सही मुलाकात होती है !!!!

Ghazal Prem Hindi

मेरा प्रेम सरल था 

इतना सरल कि 

मैं रूठा बहुत दिनों से था 

लेकिन जब तुम सामने आई 

मेरा दिल पिघला बहुत था 

ऐसा लगा जैसे तुम फिर मिल गई मुझे 

मैं इस तरह 

भूल गया खुद को !!!!!


हमारे रूठने के बाद भी 

हमारे टूटने के बाद भी 

उसे ताकने की कोशिश की 

मेरी मोहब्बत जिन्दा थी 

साथ छुटने के बाद भी !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 दिल पर ज़रा हाथ रख दो 

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ